Wednesday, October 25, 2017

बाल कविता

बाल कविता .













डॉ.प्रमोद सोनवानी पुष्प
" भौंरा "
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गुन-गुन करता आता भौंरा ,
मीठी तान सुनाता भौंरा ।
फूलों के सम्मुख जा-जाकर,
अपना रंग जमाता भौंरा ।।

फूलों का रस पी-पीकर ।
मन ही मन मुस्काता भौंरा ।।

पराग चुसनें में जो माहिर ।
लोभी वह कहलाता भौंरा ।।



" अजब सलोना गाँव "
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अजब सलोना,सबसे प्यारा,
गाँव हमारा भाई ।
मस्त मगन हो पक्षी नभ में ,
उड़ रहे हैं भाई ।।

हरी घास है मखमल जैसी,
चहुँ दिशा में हरियाली ।
चहक रही है डाल-डाल पर,
कोयल काली-काली ।।

               

            " श्री फूलेंद्र साहित्य निकेतन "
               तमनार/पड़ीगाँव-रायगढ़(छ.ग.)
ई-मेल:-Pramodpushp10@gmail. com

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