Tuesday, June 25, 2013

कविता - राजनीति


राजनीति

- एन. सेंदिल कुमरन, पुदुच्चेरी
               
 लोग मानते हैं, गंदी नली है राजनीति,
                पर पावन गंगा है वह ।
                पावन गंगा तो जीव नदी है,
                जीव नदी तो राजनीति क्षेत्र है ।
नदी का पानी धारा में बहती है,
राजनीति की धारा विचारों से बनती है,
जल नहीं तो जलद कहाँ ?
राजनीति न तो राज कहाँ ?
                जलद का मूलाधार जल है,
                राज का मूलाधार राजनीति है।
                अंग्रेजों की नीति रहा है विभाजन,           
                भारत की राजनीति है गुलशन ।
पसिफि़क ओशन तो अति गहरा है,
राजनीति क्षेत्र तो अत्यंत गहरा है ।
अंग्रेजों का काम है राजनीति दमन,
भारतीयों का काम है राजनीति अमन-आमन ।
                दार्शनिक अरस्तू का कहना है,
                राज, वर्ग, प्रजा तीन तंत्र है ।
                भारत का तंत्र तो प्रजातंत्र है ।
                यह दुनिया भरके उच्च तंत्र है ।
भारत के कई स्वतंत्रता-शिल्पियों ने,
अति पावन बनाया राजनीति का ।
अहिंसा का जन्मदाता है, महात्मा गांधी ।
उनके जैसे कई महान आत्माओं से,
राजनीति और भी चमकी ।
अनेक धर्म युक्त है राजनीति ।
भारत में अति श्रेष्ठ है नीति ।
                राजनीति प्रकाशयुक्त सूर्य समान है ।
                बदलता नहीं, परिवर्तित नहीं,
                परिवर्तन तो दृष्टि है,
                दृष्टि की त्रुटी पाता है दिवा-निशा ।
भारत की राजनीति तो बड़ी कहानी है,
बड़ी कहानी का आरंभ तो बलिदानी है ।
भारत में कई स्वतंत्रता सेनानियों ने अपना जीवन ही अर्पित किया,
उन लाशों के ऊपर राजनीति का उदय हुआ ।
                राजनीति का आविर्भाव बलिदान है,
                बलिदान तो रक्त रंजित है,
                रक्त का रंग लाल है,
                लाल का चिन्ह त्याग है,
                उस त्याग का प्रतीक राजनीति है ।
                राजनीति तो त्यागमय जीवन है 
भारत की राजनीति की नीति में विविधता है,
विविधता में एकता है, एकता में भारत है।
भारत की राजनीति देख,  दाँतो तले दबाती है धरती 
अनपढ़ को सिंहासन पर बिठाती है राजनीति ।
                कुछ स्वार्थी ने बनायी गंदी नली राजनीति को,
                उसे शुद्ध करने आगे बढ़ो युवक-युवतियो !
                आप न समझे कि राजनीति हमारी अछूती है ।
                समय की मांग है, राजनीति में आपका हाथ है ।

1 comment:

  1. bhaavanaa acchee hai,kavta kaa silp bemisaal, vyaakarann theek karloto

    aur bhee laajawaab hogee shubh kaamanaaye

    ReplyDelete