राजनीति
- एन. सेंदिल कुमरन,
पुदुच्चेरी
लोग मानते हैं, गंदी नली है राजनीति,
पर पावन गंगा है वह ।
पावन गंगा तो जीव नदी है,
जीव नदी तो राजनीति क्षेत्र है ।
नदी का पानी धारा
में बहती है,
राजनीति की धारा विचारों
से बनती है,
जल नहीं तो जलद
कहाँ ?
राजनीति न तो राज
कहाँ ?
जलद का मूलाधार जल है,
राज का मूलाधार राजनीति है।
अंग्रेजों की नीति रहा है विभाजन,
भारत की राजनीति है गुलशन ।
पसिफि़क ओशन तो
अति गहरा है,
राजनीति क्षेत्र
तो अत्यंत गहरा है ।
अंग्रेजों का काम
है राजनीति दमन,
भारतीयों का काम
है राजनीति अमन-आमन ।
दार्शनिक अरस्तू का कहना है,
राज, वर्ग, प्रजा तीन तंत्र है ।
भारत का तंत्र तो प्रजातंत्र है ।
यह दुनिया भरके उच्च तंत्र है ।
भारत के कई
स्वतंत्रता-शिल्पियों ने,
अति पावन बनाया
राजनीति का ।
अहिंसा का
जन्मदाता है, महात्मा गांधी ।
उनके जैसे कई महान
आत्माओं से,
राजनीति और भी
चमकी ।
अनेक धर्म युक्त
है राजनीति ।
भारत में अति
श्रेष्ठ है नीति ।
राजनीति प्रकाशयुक्त सूर्य समान है ।
बदलता नहीं, परिवर्तित नहीं,
परिवर्तन तो दृष्टि है,
दृष्टि की त्रुटी पाता है दिवा-निशा ।
भारत की राजनीति
तो बड़ी कहानी है,
बड़ी कहानी का
आरंभ तो बलिदानी है ।
भारत में कई
स्वतंत्रता सेनानियों ने अपना जीवन ही अर्पित किया,
उन लाशों के ऊपर
राजनीति का उदय हुआ ।
राजनीति का आविर्भाव बलिदान है,
बलिदान तो रक्त रंजित है,
रक्त का रंग लाल है,
लाल का चिन्ह त्याग है,
उस त्याग का प्रतीक राजनीति है ।
राजनीति तो त्यागमय जीवन है ।
भारत की राजनीति
की नीति में विविधता है,
विविधता में एकता
है, एकता में भारत है।
भारत की राजनीति
देख, दाँतो तले दबाती है धरती
।
अनपढ़ को सिंहासन
पर बिठाती है राजनीति ।
कुछ स्वार्थी ने बनायी गंदी नली राजनीति को,
उसे शुद्ध करने आगे बढ़ो युवक-युवतियो !
आप न समझे कि राजनीति हमारी अछूती है ।
समय की मांग है, राजनीति में आपका हाथ है ।
bhaavanaa acchee hai,kavta kaa silp bemisaal, vyaakarann theek karloto
ReplyDeleteaur bhee laajawaab hogee shubh kaamanaaye