Wednesday, May 15, 2013

प्यार कभी भी रोमांस नहीं हो सकता


प्यार कभी भी रोमांस नहीं हो सकता


Sanjay Maheshwri (bhangdia)
-         संजय महेश्वरी (भांगडिया)



प्यार का मतलब रोमांस नहीं होता, इसको समझना और समझाना जरूरी है ।  क्योंकि आज नई पीढ़ी ने प्यार को ग़लत तरीक़े से इस्तेमाल कर अपना आज और कल दोनों ख़राब कर लिया है   माता अपने बच्चों से, गुरु अपने शिष्यों से और बहन अपने भाई से प्यार करती है। उस समय सोच और जो नजरियाँ रहती हैं, वह अच्छी सोच को हर समय साथ रखने की आवश्यकता है , क्योंकि सही सोच एक लड़के और लड़की की दोस्ती को कभी भी ग़लत अंजाम नही दे सकती है.  प्यार और रिश्तों पर कभी भी ग़लत सोच हावी नहीं होने देना चाहिए।  इसमें  हमारी संस्कृति, हमारा रहन सहन, हमारा माहौल, परिवार का साथ, शिक्षक का अनुभव कभी भी हमें ग़लत या भ्रमित नहीं होने देगा। परिवार को अपने बच्चों की गतिविधियों पर ध्यान देना आवश्यक है न केवल लड़की वरन लड़का भी गलतियाँ कर रहा है तो सही समय पर उसे दोस्त की तरह मार्गदर्शित करते रहें।

कबीर दास ने सच ही कहा है कि ढ़ाई आखर प्रेम का पढ़े सो पंडित होय”  अर्थात रोमांस से परे प्यार होता है. मूर्ख लोगों ने रोमांस को प्यार का नाम दिया है। प्यार की पवित्रता और गहराई को हमे समझना होगा और हम ही दिशा भ्रमित युवा पीढ़ी को सही रास्ते पर ला सकते हैं ।  आज की नई टेक्नोलॉजी ने इसे और ख़राब कर दिया है ग़लती हम  टेक्नोलॉजी  को नहीं दे सकते हैं,  यह ग़लती तो हमारी ही है, इस टेक्नोलॉजी का ग़लत उपयोग करना  हम  सीख रहे हैं या सिखा रहे हैं जिसके लिए  हम शत प्रतिशत  स्वयं को ज़िम्मेदार हैं ।

प्यार एक प्रक्रिया है, इसका हमारे खाली जीवन में खुशियों का खजाना हैसबसे रहस्यमय और मनोविज्ञान  शक्तिशाली बंधन ही प्यार का पर्याय है और यह तभी सम्भव है जब प्यार रोमांस से परे है अर्थात  प्यार का तल काफ़ी ऊँचा  है, प्यार भगवान है इस पवित्र शब्द का अनायास ही ग़लत अर्थ और ग़लत उपयोग होने लगा है ।   हमारे पूर्वज और ऋषि-मुनियों ने इस प्यार की ताक़त से जीवन स्वयम को आलोकित कर महान ग्रंथ और अविश्वनीय कार्य संपूर्ण किए हैं।

प्यार हमारी रोजमर्रा की ज़िंदगी में एक आंतरिक प्रकाश के साथ वास्तविकता चमक को निरंतर प्रवाहित करता है ।  कभी-कभी उलटा भी हो सकता है कि दुर्घटना ग्रस्त हो जाते हैं तब रिश्तों के आंसू प्यार को फ़ीका कर देते  हैं ।  प्यार कतई भी  मोह नहीं होता है प्यार के "मैं, मुझे, और मेरा" शब्दों के समावेश अहंकार को जन्म दे देते हैं  दुनिया के ज्ञान परंपरा में प्यारऔर आत्मादोनों सार्वभौमिक हैं. वे व्यक्ति के व्यक्तित्व से परे मौजूद हैं ।  प्यार का रहस्य अपनी अंतर्ज्योति और अंतरात्मा के सुख में ही निहित है और हम आज की चकाचौंध में इसे बाहर तलाशते रहते हैं । 

कवि रवींद्रनाथ टैगोर ने भी प्यार के आध्यात्मिक पक्ष में वर्णित सार को बताया,  प्यार केवल वास्तविकता है और यह एक मात्र भावना नहीं है ।  यह परम सत्य है कि सृष्टि के दिल में निहित है ।   "मानव जागरूकता का उपहार है कि हम अपने आप में निर्माण के स्रोत का पता लगा सकते हैं ।  स्वयं से स्वयं के बारे में  पूछते है , "मैं कौन हूँ?" प्यार समर्पण, भक्ति, निस्वार्थता ही है, आभार, प्रशंसा, दयालुता और आनंद भी इसमें शामिल हैं ।  फर्क है तो हमारी सोच व समझ का  तो अगर वाक्यांश "सार्वभौमिक प्रेम" आप के लिए कठिन या असंभव लगता है, यह इन छोटे अनुभव में नीचे तोड़ने, उन्हें आगे बढ़ाना है, और आप अपने स्रोत, जहां सच्चे आत्म और सच्चा प्यार विलय की दिशा में यात्रा होगी ।

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