कविता
आओ जलाएँ
- महेंद्रभटनागर
आओ जलाएँ
कलुष-कारनी कामनाएँ !
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नये पूर्ण मानव बनें हम,
सकल-हीनता-मुक्त,अनुपम
आओ जगाएँ
भुवन-भाविनी भावनाएँ !
.
नहीं हो परस्पर विषमता,
फले व्यक्ति-स्वातंत्र्य-प्रियता,
आओ मिटाएँ
दलन-दानवी-दासताएँ !
.
कठिन प्रति चरण हो न जीवन,
सदा हों न नभ पर प्रभंजन,
आओ बहाएँ
अधम आसुरी आपदाएँ !
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महेंद्रभटनागर
DR. MAHENDRA BHATNAGAR
Retd. Professor
Retd. Professor
110, BalwantNagar, Gandhi Road,
GWALIOR — 474 002 [M.P.] INDIA
Ph. 0751- 4092908E-Mail : drmahendra02@gmail.com
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होली की हार्दिक शुभकामनाएँ!
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