सरोज कांत झा की
पांच ग़ज़लें
ग़ज़ल
जिंदगी जीने का इरादा है ।
माना जीने में कुछ बाधा है ।।
गम मतकर के तुझे गम है मिला
गम पानेवाले ज्यादा है........
बेहयाई न कर तू इतनी
जीने की कुछ तो मर्यादा है........
साथ छोड़ूँगा न मैं मरकर भी
मेरे यार तुझसे ये वादा है....
ग़ज़ल
जाने कैसा तेरा शहर है ।
कुछ कहने में लगता डर है ।।
गैरों से अब कैसा पर्दा
अपनों की ही अब बुरी नजर है.....
तेरे दर से मौत है बंटती
या खुदा ये कैसा मंजद है........
मुझको इतना दूर न समझो
आपका दिल ही मेरा घर है........
सांस भी लूँ तो दम है घुटता
फैला हवाओं में ये कैसा जहर है.......
ग़ज़ल
लोग लाचार हैं क्यूँ, जिंदगी बाजार है
क्यूँ ।
हर कोई खुद ही यहां बिकने को तैयार है क्यूँ ।।
बिखड़े-बिखड़े से हैं लोग, टूटा
हर ईक रिश्ता
बस दिखाने के लिए इतना प्यार है क्यूँ..........
देगें मुझको धोखा, ये यकी है मुझको
जाने फिर भी उनपे इतना एतवार हैं क्यूँ.........
ख्याब टूटेगें सभी ये जानता हूँ मैं
न जाने देखने को आंखें बेकरार है क्यूँ........
दर्द चीखे जो, भुख जो मुँह
खोले
इंकलाब बाले तो वो गुनाहगार हैं क्यूँ......
ग़ज़ल
इस अजनबी शहर में बेगाने लगे हैं लोग ।
अब नाम पता पूछकर भगाने लगे हैं लोग ।।
दर्द सहकर भी वो मुस्कुराते हैं
इस कदर यहां के दिवाने लगे हैं लोग.....
जमीर की अहमियत नहीं होती जिस्मों के बाजार में
सब के सब झूठ अब दिखाने लगे हैं लोग......
ये क्या हमें जख्म मिला और वो तड़प उठें
चोट खाये नहीं कि सहलाने लगे हैं लोग.....
जबसे चली है इस शहर में इश्क की हवा
बेवजह अब सभी मुस्कुराने लगे हैं लोग.....
ग़ज़ल
दुनिया की सच हम आपको बताते हैं ।
अब शैतान नहीं फरिश्ते सताते हैं ।।
राहगीरो को लुटरो ने नहीं लूटा है
राह दिखाने वाले ही अब लूट जाते हैं......
बाजार हावी है इस कदर इंसानों पर
दर्द छिपाये नहीं अब दिखाये जाते हैं......
झूठ नंगी होकर नाचती है सड़कों पर
कहीं कोने में सच अब शरमाते हैं......
दुनिया के रंगमंच पर किरदारों की कमी नहीं है
अर्जुन अब शिखंडी बनकर आते हैं......
सरोज कांत झा
पत्राचारः जयप्रकाशनगर, पोस्ट आफिसः भुरकुण्डा बाजार
थानाः भुरकुण्डा जिलाः रामगढ़(झारखण्ड)
मोबाईल नंबरः 9431394154
सुंदर गजलें हैं ..
ReplyDeleteNice poetry. Have you read German and English 'Ghazals'?
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