Saturday, December 31, 2011

ग़ज़ल

ये दुनिया तो सिर्फ मुहब्बत

श्यामल सुमन

आने वाले कल का स्वागत, बीते कल से सीख लिया

नहीं किसी से कोई अदावत, बीते कल से सीख लिया



भेद यहाँ पर ऊँच नीच का, हैं आपस में झगड़े भी

ये दुनिया तो सिर्फ मुहब्बत, बीते कल से सीख लिया



हंगामे होते, होने दो, इन्सां तो सच बोलेंगे

सच कहना है नहीं इनायत, बीते कल से सीख लिया



यह कोशिश प्रायः सबकी है, हों मेरे घर सुख सारे

क्या सबको मिल सकती जन्नत, बीते कल से सीख लिया



गर्माहट टूटे रिश्तों में, कोशिश हो, फिर से आए

क्या मुमकिन है सदा बगावत, बीते कल से सीख लिया



खोज रहा मुस्कान हमेशा, गम से पार उतरने को

इस दुनिया से नहीं शिकायत, बीते कल से सीख लिया



भागमभाग मची न जाने, किसको क्या क्या पाना है

सुमन सुधारो खुद की आदत, बीते कल से सीख लिया



इसी ग़ज़ल को इस लिंक पर कवि श्यामल सुमन जी के ही स्वर में सुन सकते हैं -- http://www.youtube.com/watch?v=PXtbpwAfZK4&list=UUElf66rbpVdKwI04CDViGhw&index=1&feature=plcp



नववर्ष की असीम शुभकामनाओं के साथ हार्दिक बधाई

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