हिन्दी साहित्य कला परिषद, पोर्टब्लेयर द्वारा गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर 25 जनवरी को कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस अवसर पर दक्षिण अंडमान के उप मंडलीय मजिस्ट्रेट श्री राजीव सिंह परिहार मुख्य अतिथि थे और कार्यक्रम की अध्यक्षता चर्चित युवा साहित्यकार और अंडमान-निकोबार द्वीप समूह के निदेशक डाक सेवाएँ श्री कृष्ण कुमार यादव ने की. दूरदर्शन केंद्र पोर्टब्लेयर के सहायक निदेशक श्री जी0 साजन कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद रहे. कार्यक्रम का शुभारम्भ द्वीप प्रज्वलन द्वारा हुआ.
इस अवसर पर द्वीप समूह के तमाम कवियों ने अपनी कविताओं से शमां बांधा, वहीँ तमाम नवोदित कवियों को भी अवसर दिया गया. एक तरफ देश-भक्ति की लहर बही, वहीँ समाज में फ़ैल रहे भ्रष्टाचार, महंगाई और अन्य बुराइयाँ भी कविताओं का विषय बनीं. कविवर श्रीनिवास शर्मा ने देश-भक्ति भरी कविता और द्वीपों के इतिहास को छंदबद्ध करते कवि सम्मलेन का आगाज किया. जगदीश नारायण राय ने संसद की स्थिति को शब्दों में ढलकर लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया. जयबहादुर शर्मा ने महंगाई को इंगित किया तो उभरते हुए कवि ब्रजेश तिवारी ने गणतंत्र की महिमा गाई. डॉ. एम0 अयया राजू ने आज की राजनैतिक व्यवस्था पर कविता के माध्यम से गहरी चोट की तो डॉ. रामकृपाल तिवारी ने यह सुनकर सबको मंत्रनुग्ध कर दिया कि नेताओं के चलते 'तंत्र' ही बचा और 'गण' गायब हो गया. श्रीमती डी0 एम0 सावित्री ने कविताओं के सौन्दर्य बोध को उकेरा तो डॉ. व्यासमणि त्रिपाठी ने ग़ज़लों से सबको मंत्रमुग्ध कर दिया. अन्य कवियों में संत प्रसाद राय, अनिरूद्ध त्रिपाठी, बी0 के0 मिश्र, राजीव कुमार तिवारी, सदानंद राय, एस0 के0 सिंह, रामसिद्ध शर्मा, रामसेवक प्रसाद, परशुराम सिंह, डॉ. मंजू नायर एवं श्रीमती रागिनी राय ने अपने काव्य पाठ द्वारा काव्य संध्या को यादगार शाम बना दिया। मुख्य अतिथि श्री राजीव सिंह परिहार ने भी हिन्दी कविता की आस्वादन प्रक्रिया पर प्रकाश डालते हुए स्वरचित कविताओं का पाठ किया।
कवि सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए चर्चित युवा साहित्यकार और अंडमान-निकोबार द्वीप समूह के निदेशक डाक सेवाएँ श्री कृष्ण कुमार यादव ने सामाजिक परिवर्तन में कविता की क्रांतिकारी भूमिका की ओर लोगों का ध्यान आकृष्ट किया। आज के लेखन में राष्ट्रीय चेतना की कमी और राष्ट्रीयता के विलुप्त होने की प्रवृत्ति के भाव पर रचनाकारों को सचेत करते हुए उन्होंने कविता को प्रभावशाली बनाने पर जोर दिया। श्री यादव ने जोर देकर कहा कि कविता स्वयं की व्याख्या भी करती है एवं बहुत कुछ अनकहा भी छोड़ देती है। इस अनकहे को ढूँढ़ने की अभिलाषा ही एक कवि-मन को अन्य से अलग करती है। ऐसे में साहित्यकारों और कवियों का समाज के प्रति दायित्व और भी बढ़ जाता है. उन्होंने परिषद द्वारा आयोजित कवि सम्मेलन की सराहना करते हुए कहा कि मुख्यभूमि से कटे होने के बावजूद भी यहाँ जिस तरह हिंदी सम्बन्धी गतिविधियाँ चलती रहती हैं, वह प्रशंसनीय है.
कार्यक्रम के आरम्भ में परिषद के अध्यक्ष श्री आर0 पी0 सिंह ने उपस्थिति का स्वागत किया, जबकि प्रधान सचिव श्री बी0 के0 मिश्र ने धन्यवाद ज्ञापन किया। कवि सम्मेलन का संयोजक एवं संचालन हिंदी साहित्य कला परिषद् के साहित्य सचिव डॉ. व्यासमणि त्रिपाठी ने किया।
जब वहां पोर्टब्लेयर में के.के. यादव जी जैसे साहित्य के युवा साथी बैठे हैं तो गतिविधियाँ तो होंगी ही...अच्छी रिपोर्टिंग के लिए साधुवाद.
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