Wednesday, March 31, 2010
हाइकु
संजीव 'सलिल
=
कोई किसी का
सलिल न अपना
न ही पराया.
=
मेरे स्वर ने
कविता रचकर
तुमको गाया.
=
मैं तुम दो से
एक बन गए हैं
नीर-क्षीर हो.
=
हँसे चमन
नयन न हो नम
रहे अमन.
=
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