Friday, March 5, 2010

कविता

बकवास

- श्यामल सुमन


शासन के जो भी प्रकार हैं, लोकतंत्र है खास।
जनहित की बातों को लेकिन कहते हैं बकवास।
पैर के नीचे की जमीन भी खिसकायी जाती है,
ऐसी चालाकी भाषण में बढ़ जाती है प्यास।।

जनता का शासन है फिर भी जनता ही लाचार।
वीआईपी कारण दहशत का, सुन दिल्ली सरकार।
चौखट पर बाजार खड़ा है आम लोग मजबूर,
कौन बचायेगा भारत को सिस्टम ही बेकार।।

दूजे अपने बन सकते पर अपनों से आघात।
अपने सचमुच अपने हों तो बेहतर ये सौगात।
रिश्ते बनते व्यवहारों से, नहीं खून से केवल,
खून के रिश्ते, खूनी रिश्ते बन करते प्रतिघात।।

जो बातें हम मंच से कहते क्या वैसा व्यवहार।
सुमन झाँकता अपने अन्दर खुद लगता बीमार।
प्रायः लोग किया करते हैं अच्छी अच्छी बातें,
कोशिश करते कैसे छीने दूजे का अधिकार।।

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