Tuesday, December 29, 2009

कविता


नव वर्ष की शुभकामनाएं

- सुश्री.डी अर्चन, चेन्‍नै

मन से नव दीप जलाओं
अज्ञान अंधकार को दूर भगाओं
नव वर्ष के नव सूरज की प्रभात किरण से
नव हर्ष की चेतना जगाओ
संघर्ष भरे जीवन को
तुम हॅंसते हुए सामना करों
कांटे भरे जीवन राहों पर
फूलों के वृंदावन सजाओं
सब बंदो में खुदा है
खुदा का करिश्‍मा सुनाओं
सब से गुज़ारिश है
हमेशा इनसानियत की मशाल जलाओं
कौमी एकता की मिसाल बताओं
इस नव वर्ष 2010 मेंनव हर्ष से सबका जीवन
उल्‍लास - उत्‍साह - समृद्वि व शांति से बीते ।

Friday, December 25, 2009

भारतीय हिंदी परिषद का अधिवेशन सुसंपन्न


युवा पीढ़ी को हिंदी के साथ जोड़ें - प्यारेलाल



दक्षिण भारत में हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए हजारों हिंदी प्रेमियों ने योग दिया है । हिंदी के प्रचलन में तेजी के लिए यह जरूरी है कि आज हम युवा पीढ़ी को हिंदी के साथ जोड़ें । चेन्नई में भारतीय हिंदी परिषद के 38वाँ अधिवेशन के उद्घाटन के अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित तमिलनाडु अल्पसंख्यक आयोग के उपाध्यक्ष प्यारेलाल पीतलिया ने यह वक्तव्य दिया । उन्होंने कहा कि आज तमिलनाडु में हिंदी का कोई विरोध नहीं है ।



चेन्नई में चेटपेट स्थित वर्ल्ड यूनिवर्सिटी सर्वीस सेंटर में भारतीय हिंदी परिषद, इलाहाबाद, तमिलनाडु हिंदी साहित्य अकादमी तथा भाषा संगम के संयुक्त तत्वावधान में संपन्न इस साहित्यिक समारोह की अध्यक्षता परिषद के अध्यक्ष प्रो. त्रिभुवननाथ शुक्ल ने की । उन्होंने अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में कहा कि हमारी भाषाएँ भले ही भिन्न-भिन्न हो किंतु पूरे भारतीय भाषाओं की मूलचिति एक ही है । आज इंटरनेट के युग में हमारी भारतीय भाषाओं का जो साहित्य पुस्तकालयों की अलमारियों में बंद पड़े थे, वे सभी विश्व स्तर पर इंटरनेट के माध्यम से पाठकों के सामने आ चुके हैं । इस अवसर दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा के उच्च शिक्षा एवं शोध संस्थान के कुलसचिव प्रो. दिलीप सिंह ने अपने वक्तव्य में कहा कि भारत में भाषाई संघर्ष जैसी कोई स्थिति नहीं है, हमारा नारा भारतीयता की सिद्धि की हो, तमाम भारतीय भाषाओं से एक ही स्वर निकलता है ।



इस समारोह में तमिलनाडु के अलावा देश के विभिन्न प्रदेशों से पधारे हिंदी साहित्यकारों, विद्वानों ने भागीदारी ली। उद्घाटन कार्यक्रम के अवसर पर श्रीमती अवतार कौर विरदी ने प्रार्थना के पश्चात् तमिलनाडु हिंदी साहित्य अकादमी की महासचिव डॉ. मधुधवन ने अतिथियों का स्वागत किया । कार्यक्रम का संचालन परिषद के साहित्य मंत्री डॉ. वीरेंद्र नारायण यादव ने किया ।


पुस्तक विमोचन तथा हिंदी सेवियों का सम्मान


उद्घाटन सत्र में डॉ. शेषन की सात पुस्तकों का तथा निर्मला अग्रवाल एवं रमेशगुप्त नीरद की एक पुस्तक का लोकार्पण मुख्य अतिथि प्यारेलाल पीतलिया के करकमलों से किया गया । इसी अवसर हिंदी सेवियों का सम्मान भी किया गया, सम्मानितों में श्रीमती कामाक्षी, डॉ. शांतिमोहनन्, डॉ. हृदयनारायण पांडेय, डॉ. बशीर अहमद, टी.ई.एस. राघवन, ईश्वरचंद्र झा, डॉ. सुंदरम, डॉ. रवींद्र कुमार सेठ, डॉ. मधुधवन और डॉ. शेषा रत्नम शामिल हैं ।


परिसंवाद एवं काव्य-गोष्ठी


इस दो दिवसीय समारोह में हिंदी एवं अन्य भारतीय भाषाओं के अंतः संबंधों पर परिसंवाद संपन्न हुआ । काव्य, कथा साहित्य, नाटक, आलोचना, लोक साहित्य और प्रयोजनमूलक हिंदी पर केंद्रित आलेख विद्वानों द्वारा प्रस्तुत किए गए । इस अवसर पर काव्य-गोष्ठी भी आयोजित हुई थी । गोष्ठी में प्रस्तुत हस्य-श्रृंगार एवं व्यंग्य कविताओं का स्वागत श्रोताओं ने करताल ध्वनियों से किया ।


समापन समारोह


समापन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रांची विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ. एस.एस. कुशवाहा ने कहा कि हिंदी के विकास में तेजी लाने की जरूरत है । समापन समारोह में विभिन्न प्रदेशों से पधारे पत्रकारों तथा विद्वानों का सम्मान किया गया ।

Thursday, December 24, 2009

क्रिसमस की शुभकामनाएँ Happy Chritmas



'बड़ा दिन'


संजीव 'सलिल'


हम ऐसा कुछ काम कर सकें

हर दिन रहे बड़ा दिन अपना.

बनें सहायक नित्य किसी के-

पूरा करदें उसका सपना.....
*
केवल खुद के लिए न जीकर

कुछ पल औरों के हित जी लें.

कुछ अमृत दे बाँट, और खुद

कभी हलाहल थोडा पी लें.

बिना हलाहल पान किये, क्या

कोई शिवशंकर हो सकता?

बिना बहाए स्वेद धरा पर

क्या कोई फसलें बो सकता?

दिनकर को सब पूज रहे पर

किसने चाहा जलना-तपना?

हम ऐसा कुछ काम कर सकें

हर दिन रहे बड़ा दिन अपना.....
*

निज निष्ठा की सूली पर चढ़,

जो कुरीत से लड़े निरंतर,

तन पर कीलें ठुकवा ले पर-

न हो असत के सम्मुख नत-शिर.

करे क्षमा जो प्रतिघातों को

रख सद्भाव सदा निज मन में.

बिना स्वार्थ उपहार बाँटता-

फिरे नगर में, डगर- विजन में.

उस ईसा की, उस संता की-

'सलिल' सीख ले माला जपना.

हम ऐसा कुछ काम कर सकें

हर दिन रहे बड़ा दिन अपना.....
*

जब दाना चक्की में पिसता,

आटा बनता, क्षुधा मिटाता.

चक्की चले समय की प्रति पल

नादां पिसने से घबराता.

स्नेह-साधना कर निज प्रतिभा-

सूरज से कर जग उजियारा.

देश, धर्म, या जाति भूलकर

चमक गगन में बन ध्रुवतारा.

रख ऐसा आचरण बने जो,

सारी मानवता का नपना.

हम ऐसा कुछ काम कर सकें

हर दिन रहे बड़ा दिन अपना.....

*

(भारत में क्रिसमस को 'बड़ा दिन' कहा जाता है.)

मीडिया और भाषा पर परिसंवाद

मीडिया की भाषा आँख खोलने वाली होनी चाहिएः व्यास


उदयपुर । मीडिया की भाषा आँख खोलने वाली होनी चाहिए जिसे हमारे मनीषियों ने पश्यन्ती कहा है। ऐसी भाषा जो जन सामान्य की अभिरुचि को सुसंस्कृत करे और उन्हें सजग बनाए। सुपरिचित कवि-आलोचक डॉ. सत्यनारायण व्यास ने ’मीडिया और भाषा’ विषयक परिसंवाद में उक्त विचार व्यक्त किए। जनार्दराय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय के मीडिया अध्ययन केन्द्र द्वारा आयोजित इस परिसंवाद में डॉ. व्यास ने कहा कि मीडिया की शब्द रचना के केन्द्र में संवेदना होनी चाहिए क्यों कि संवेदना का मूल मानवीय करूणा है। उन्होंने मीडिया और साहित्य की बढ़ती दूरी को चिन्ताजनक बताते हुए कहा कि भूलना नहीं चाहिए कि प्रेमचन्द, माखनलाल चतुर्वेदी और रघुवीर सहाय ने मीडिया की भाषा को साहित्य के संस्कार दिये हैं। अजमेर विजयसिंह पथिक श्रमजीवी महाविद्यालय के प्राचार्य और कवि डॉ. अनन्त भटनागर ने कहा कि मीडिया में भाषा के स्तर पर हुए स्खलन ने हमारी सामाजिक चेतना को प्रभावित किया है। उन्होंने कुछ चर्चित विज्ञापनों की भाषा का उल्लेख कर स्पष्ट किया कि बाजार की शक्तियां भाषा को संवेदनहीन बना ग्लेमर से जोड़ती है। डॉ. भटनागर ने कहा कि सचेत पाठक वर्ग हस्तक्षेप कर भाषा के दुरूपयोग को रोक सकता है। प्रभाष जोशी जैसे पत्रकारों के अवदान को रेखांकित कर उन्होंने बताया कि हिन्दी में लोक का मुहावरा अपनाकर मीडिया की भाषा को व्यापक जन सरोकारों से जोड़ा जा सकता है। परिसंवाद में राजस्थान विद्यापीठ के अंग्रेजी विभागाध्यक्ष प्रो. हेमेन्द्र चण्डालिया ने नयी प्रौद्योगिकी के कारण मीडिया में आए बदलावों की चर्चा की। उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी निरपेक्ष नहीं होती, वह अपने साथ अपनी संस्कृति को लाती है जो मीडिया की भाषा और मुहावरे को भी बदलने का काम करती है। प्रो. चण्डालिया ने भाषा और समाज के सम्बन्धों की ऐतिहासिक सन्दर्भ में व्याख्या कर बताया कि समाज का चरित्र भाषा को निर्धारित करता है।
इससे पहले मीडिया अध्ययन केन्द्र के समन्वयक डॉ. पल्लव ने परिसंवाद की प्रस्तावना रखते हुए कहा कि मीडिया के चरित्र को समझने के लिए भाषा की संरचना और प्रयोग का विश्लेषण बेहद आवश्यक है। केन्द्र के अध्यापक आशीष चाष्टा ने केन्द्र की गतिविधियों की जानकारी दी एवं अतिथियों का स्वागत किया। परिसंवाद में केन्द्र के विद्यार्थियों मनोज कुमार, निखिल ने विषय-विशेषज्ञों से अपनी जिज्ञासाओं का समाधान भी प्राप्त किया। आयोजन में डॉ. मलय पानेरी, डॉ. मुकेश शर्मा, डॉ. योगेश मीणा, एकलव्य नन्दवाना सहित विद्यार्थी, शोध छात्र और अध्यापक उपस्थित थे। अन्त में केन्द्र की छात्रा मंजु जैन ने आभार प्रदर्शित किया।

Monday, December 21, 2009

चेन्नई में दो दिवसीय राष्ट्रीय हिंदी अधिवेशन

भारतीय हिंदी परिषद, इलाहबाद, तमिलनाडु हिंदी साहित्य अकादमी तथा भाषा संगम चेन्नई के संयुक्त तत्वावधान में दिनांक 22 व 23 दिसंबर, 2009 को दो दिवसीय राष्ट्रीय हिंदी अधिवेशन का आयोजन वर्ल्ड यूनिवर्सिटी सर्वीस सेंटर, चेटपेट, चेन्नई में किया जा रहा है । अधिवेशन में चर्चा का विषय है – हिंदी तथा अन्य भारतीय भाषाओं के अंतर्संबंध ।

Wednesday, December 16, 2009

नवगीत

नव गीत : संजीव 'सलिल'

ओढ़ कुहासे की चादर,
धरती लगाती दादी.
ऊँघ रहा सतपुडा,
लपेटे मटमैली खादी...

सूर्य अँगारों की सिगडी है,
ठण्ड भगा ले भैया.
श्वास-आस संग उछल-कूदकर
नाचो ता-ता थैया.
तुहिन कणों को हरित दूब,
लगती कोमल गादी...

कुहरा छाया संबंधों पर,
रिश्तों की गरमी पर.
हुए कठोर आचरण अपने,
कुहरा है नरमी पर.
बेशरमी नेताओं ने,
पहनी-ओढी-लादी...

नैतिकता की गाय काँपती,
संयम छत टपके.
हार गया श्रम कोशिश कर,
कर बार-बार अबके.
मूल्यों की ठठरी मरघट तक,
ख़ुद ही पहुँचा दी...

भावनाओं को कामनाओं ने,
हरदम ही कुचला.
संयम-पंकज लालसाओं के
पंक-फँसा, फिसला.
अपने घर की अपने हाथों
कर दी बर्बादी...

बसते-बसते उजड़ी बस्ती,
फ़िर-फ़िर बसना है.
बस न रहा ख़ुद पर तो,
परबस 'सलिल' तरसना है.
रसना रस ना ले, लालच ने
लज्जा बिकवा दी...

हर 'मावस पश्चात्
पूर्णिमा लाती उजियारा.
मृतिका दीप काटता तम् की,
युग-युग से कारा.
तिमिर पिया, दीवाली ने
जीवन जय गुंजा दी...
*****
प्रेषक: आचार्य संजीव 'सलिल', संपादक दिव्य नर्मदा
ई मेल;
सलिल.संजीव@जीमेल.कॉम

Monday, December 14, 2009

लघुकथा

वन्देमातरम

- आचार्य संजीव 'सलिल'


-'मुसलमानों को 'वन्दे मातरम' नहीं गाना चाहिए, वज़ह यह है की इस्लाम का बुनियादी अकीदा 'तौहीद' है। मुसलमान खुदा के अलावा और किसी की इबादत नहीं कर सकता।' -मौलाना तकरीर फरमा रहे थे।

'अल्लाह एक है, वही सबको पैदा करता है। यह तो हिंदू भी मानते हैं। 'एकोहम बहुस्याम' कहकर हिंदू भी आपकी ही बात कहते हैं। अल्लाह ने अपनी रज़ा से पहले ज़मीनों-आसमां तथा बाद में इन्सान को बनाया। उसने जिस सरज़मीं पर जिसको पैदा किया, वही उसकी मादरे-वतन है। अल्लाह की मर्जी से मिले वतन के अलावा किसी दीगर मुल्क की वफादारी मुसलमान के लिए कतई जायज़ नहीं हो सकती। अपनी मादरे-वतन का सजदा कर 'वंदे-मातरम' गाना हर मुसलमान का पहला फ़र्ज़ है। हर अहले-इस्लाम के लिए यह फ़र्ज़ अदा करना न सिर्फ़ जरूरी बल्कि सबाब का काम है। आप भी यह फ़र्ज़ अदा कर अपनी वतन-परस्ती और मजहब-परस्ती का सबूत दें।' -एक समझदार तालीमयाफ्ता नौजवान ने दलील दी।

मौलाना कुछ और बोलें इसके पेश्तर मजामीन 'वन्दे-मातरम' गाने लगे तो मौलाना ने चुपचाप खिसकने की कोशिश की मगर लोगों ने देख और रोक लिया तो धीरे-धीरे उनकी आवाज़ भी सबके साथ घुल-मिल गयी।

******

Friday, December 11, 2009

राष्ट्रीय संगोष्ठी

पांडिच्चेरी में दि.31 जनवरी, 2009 को राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन

Thursday, December 3, 2009

श्रद्धांजलि

हमारा सलाम

- श्री मनमोहन करकेरा

राजीव तुम्‍हारे नमन* को हमारा सलाम
सरस्‍वत रचना को शत शत प्रणाम।
शायद हम तुम्‍हें खो गए उस 26/11 की दर्दनाक रात
लेकिन तुम फिर प्रकट हो गए नमन के साथ।
तुम्‍हारा मधुर मुस्‍कान क्‍या हम भूल पाएंगे ?
नहीं! कभी नहीं ! ! हरगि़ज नहीं ! ! !
तुम हर बार हमें याद आओगे।
तुम्‍हारी कविताओं में तुम्‍हारा ओजस्‍वी चेहरा नज़र आता है,
तुम्‍हारे संग बीते यादों को ताज़ा करता है,
आसुओं से दिल व आखों को भिगोता है !
तुम्‍हारी खट्ठी मीठी यादें नही होंगे जुदा
तुम्‍हारी क्रियाशीलता, समर्पण, तेजस्‍वी व्‍यक्तिव हमें याद आएंगे सदा।

किसी ने सही कहा है कि “कलाकार को अच्‍छा नहीं लगता कोई एक चमन”
इस लिए इस मतलबी व झूठी धरती छोड कर बनगयें फरिस्‍ता -ए -अमन ! !
तुम से बडा कलाकार नही देखा हमने, इस ज़माने में।
शान - शोहरत, मुहब्‍बत के पैमाने में
हम ज़माने वाले हर रोज याद करते रहेंगे आप को
दुवा देतें रहेंगे फूलों के अर्पण से आप की पुण्‍यात्‍मा को,
तुम सदा अमर रहो,उस जहां में
स्‍वीकार करे हमारा नमन, इस जहां से।
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*नमन - स्‍वर्गीय राजीव सारस्‍वत का काव्‍य संग्रह

Tuesday, December 1, 2009

राजभाषा कार्यान्वयन हमारा दायित्व है - बी.एस.वी. शर्मा



कोयंबत्तूर नगर राजभाषा कार्यान्वयन समति की अर्द्ध-वार्षिक बैठक एवं हिंदी दिवस समारोह संपन्न



कोयंबत्तूर नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति की अर्द्ध-वार्षिक बैठक एवं हिंदी दिवस समारोह दि.1 दिसंबर, 2009 को सुसंपन्न हुआ । बैठक की अध्यक्षता समिति के अध्यक्ष श्री बी.एस.वी. शर्मा, क्षेत्रीय भविष्य निधि आयुक्त ने की । बैठक का शुभारंभ श्रीमती ए. चित्रा के प्रार्थना गीत से हुआ । समिति के सदस्य-सचिव एवं कर्मचारी भविष्य निधि संगठन के सहायक निदेशक (राजभाषा) डॉ. सी. जय शंकर बाबु ने सभी अधिकारियों तथा प्रतिनिधियों का स्वागत किया और समिति की गतिविधियों का परिचय दिया ।
समिति के अध्यक्ष श्री बी.एस.वी. शर्मा जी ने अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में कहा कि राजभाषा के रूप में हिंदी के प्रगामी प्रयोग को बढ़ावा देना हमारा दायित्व है । अपने-अपने विभाग, कार्यालय के मूल कार्यों करने को हम जितना महत्व देते है, राजभाषा कार्यान्वयन को भी उतना ही महत्व दिया जाए । उन्होंने कहा कि कोयंबत्तूर नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति अपने उद्देश्यों एवं कार्यों में काफ़ी सक्रिय है एवं राजभाषा कार्यान्वयन की दिशा में सामयिक चेतना के साथ गतिशील है । सरकारी कार्यालयों में हिंदी सीखने के लिए कई अवसर व सुविधाएँ मिलती हैं । इनका लाभ उठाते हुए सबको हिंदी सीखना चाहिए । उन्होंने कुछ प्रेरक उदाहरण देते हुए बताया कि भाषाओं को आसानी से किस तरह सीखी जा सकती हैं और भाषाओं के ज्ञान से कार्यसाधन में कितनी सुविधा होती है । हिंदी फिल्मों के माध्यम से भी हिंदी के प्रति लोगों की दिलचस्पी बढ़ी है और फिल्मों के नामों और गानों से भी कई हिंदीतर भाषी हिंदी सीख रहे हैं । कार्यालय अध्यक्षों से उन्होंने अनुरोध किया कि वे अपने कार्यालय में हिंदी कार्यान्वयन में उचित नेतृत्व का वहन करें, अच्छी शुरूआत करते हुए अपने स्टॉफ को हिंदी सीखने के अवसर प्रदान करें जिससे उन्हें हिंदी में कार्य करने की अच्छी प्रेरणा भी मिल जाएगी । हिंदी सीखने वालों से हिंदी में काम भी लिया जाए ।
अंत में नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति की गतिविधियों में सक्रिय सहभागिता के लिए उन्होंने सभी कार्यालय अध्यक्ष के प्रति आभार ज्ञापन किया तथा वार्षिक पुरस्कार विजेता कार्यालयों, नराकास हिंदी माह के अवसर पर आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेताओं को बधाई दी ।
सदस्य-सचिव डॉ. सी. जय शंकर बाबु ने बताया कि हर वर्ष मई तथा अक्तूबर महीनों में संपन्न होनेवाली समिति की अर्द्ध-वार्षिक बैठकों में कार्यालय प्रधानों का उपस्थित होना तथा समीक्षार्थ राजभाषा कार्यान्वयन की अर्द्ध-वार्षिक रिपोर्ट समिति को समय पर प्रस्तुत करना आवश्यक है । राजभाषा नियम, 1976 के नियम 12 के अनुसार कार्यालय में राजभाषा कार्यान्वयन का दायित्व कार्यालय प्रधान का होता है । उन्हें अपने दयित्व को पूरी निष्ठा के साथ निभाने की दिशा में आपसी विचार-विमर्श के लिए एक संयुक्त मंच के रूप में नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति की विशिष्ट भूमिका रहती है । राजभाषा कार्यान्वयन में आनेवाली कठिनाइयों के संबंध में अपेक्षित मार्गदर्शन भी बैठक में प्राप्त किया जा सकता है । उन्होंने कहा कि कोयंबत्तूर नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति की विशिष्टता यह है कि सूचना प्रौद्योगिकी का लाभ उठाते हुए समिति द्वारा अद्यतन सूचनाएँ समिति के कार्यालयों को दी जाती हैं । समिति का वेबसाइट भी समय पर अपडेट किया जाता है । बैठक के दिन ही बैठक की पूरी कार्यवाही वेबसाइट में प्रकाशित करनेवाली यह एकमात्र समिति है ।
सदस्य-कार्यालयों के उपयोगार्थ राजभाषा साधन के नाम से सी.डी. बनाकर वितरित किया गया है जिसमें राजभाषा कार्यान्वयन में उपयोगी कई महत्वपूर्ण साधन शामिल किए गए हैं । समिति द्वारा आयोजित सूचना प्रौद्योगिकी कार्यशालाओं द्वारा कंप्यूटरों में हिंदी के प्रयोग को बढ़ावा मिला है ।
सदस्य-सचिव ने यह भी जानकारी दी कि हिंदी शिक्षण योजना का लाभ उठाते हुए कार्यालय के स्टॉफ को हिंदी भाषा, टंकण एवं आशुलिपि प्रशिक्षण दिलवाया जाए । नियमित कक्षाओं में किसी करणवश किन्हीं स्टॉफ सदस्यों को शामिल नहीं किया जा सकता तो उन्हें पत्रचार प्रशिक्षण अथवा राजभाषा विभाग के पोर्टल के माध्यम से चलाए जा रहे लीला प्रबोध प्रवीण एवं प्राज्ञ ऑनलाइन पाठ्यक्रमों के मध्यम से प्रशिक्षण दिलवाया जा सकता है । राजभाषा विभाग द्वारा निर्धारित लक्ष्यों को हासिल करने के लिए कंप्यूटरों में हिंदी के प्रयोग बढ़ाने पर भी उन्होंने बल दिया और सभी कार्यालय अध्यक्षों से यह सुनिश्चित करने का अनुरोध किया कि कंप्यूटर पर प्रयोग में लाए जाने वाले पत्रशीर्ष को अनिवार्यतः द्विभाषी रूप में प्रयोग में लाए जा रहे हैं ।
तदनंतर सदस्य कार्यालयों में राजभाषा कार्यान्वयन की प्रगति की विस्तृत समीक्षा की गई । बैठक में चर्चित महत्वपूर्ण मद इस प्रकार हैं –
Ø हिंदी शिक्षण योजना के अगले सत्र में प्रशिक्षणार्थ स्टॉफ को नामित करने के संबंध में चर्चा की गई । हिंदी प्राध्यापक से इस संबंध में पूरी जानकारी दी गई । सदस्य-सचिव ने कहा कि सरकारी आदेशानुसार प्रशिक्षण के लिए शेष पदधारियों में से 20 प्रतिशत पदधारियों को नामित किया जाए और 2015 तक प्रशिक्षण पूरा किया जाए । दिसंबर, 2009 के तीसरे सप्ताह तक प्रशिक्षणार्थ नामित पदधारियों की सूची हिंदी शिक्षण योजना के सर्व-कार्यभारी अधिकारी / नराकास कार्यालय को भेजी जाए । कार्यालय अध्यक्षों से यह भी अनुरोध किया गया कि वे हिंदी भाषा प्रशिक्षण हेतु नामित पदधारियों से यह सुनिश्चित करें कि वे कक्षाओं में नियमित रूप से उपस्थित रहकर, परीक्षा में अनिवार्यतः शामिल होकर प्रशिक्षण सफलता पूरा कर रहे हैं ।
Ø हिंदी टंकण एवं आशुलिपि प्रशिक्षण की सुविधा सुनिश्चित करने हेतु रिक्त सहायक निदेशक (टंकण एवं आशुलिपि) पद तैनाती होने की जानकारी समिति को दी गई और अगले सत्र में पदधारियों को नामित करने का अनुरोध कार्यालय अध्यक्षों से किया गया ।
Ø समिति की ओर से नियमित रूप से कोयंबत्तूर में कंप्यूटर प्रशिक्षण कार्यशालाएँ आयोजित की जाएंगी ।
Ø सभी कार्यालयों में राजभाषा अधिनियम, 1963 की धारा 3(3) में निर्धारित 14 प्रकार के दस्तावेज द्विभाषी रूप में जारी करना सुनिश्चित किया जाना चाहिए ।
Ø राजभाषा विभाग द्वारा वार्षिक कार्यक्रम में ‘ग’ क्षेत्र में पत्राचार के लिए निर्धारित लक्ष्य 55 प्रतिशत हासिल करने हेतु प्रयास किया जाए ।
Ø राजभाषा नियम, 1976 के नियम-11 का अनुपालन सुनिश्चित करने हेतु सभी रबड़ मुहरें तथा कार्यालय के नामपट्ट, सूचना पट्ट आदि नियमानुसार द्विभाषी / त्रिभाषी रूप में बनवाना सुनिश्चित किया जाए ।
Ø राजभाषा विभाग द्वारा वर्ष 2009-10 के लिए जारी वार्षिक कार्यक्रम में निर्धारित सभी लक्ष्य हासिल करने हेतु प्रयास किया जाए ।
Ø समिति की पत्रिका तथा सदस्य-निर्देशिका का प्रकाशन यथाशीघ्र किया जाए । सदस्य-निर्देशिका प्रकाशन में अपेक्षित सूचना एकत्रित करने हेतु समिति का कार्यदल सदस्य-कार्यालयों का दौरा करेगा । निर्देशिक के प्रकाशन के पंद्रह दिन पूर्व मसौदे का प्रकाशन वेबसाइट में किया जाएगा ।
बैठक की कार्यवाही समाप्त होने के बाद हिंदी दिवस समारोह मनाया गया । राजभाषा कार्यान्वयन में श्रेष्ठ कार्य-निष्पादन हेतु वार्षिक पुरस्कारों का वितरण समिति के अध्यक्ष श्री बी.एस.वी. शर्मा एवं अन्य कार्यालय अध्यक्षों के कर कमलों से किया गया । पुरस्कार वितरित करनेवाले कार्यालय अध्यक्षों में श्री एम.आर. वासुदेव, विमानपत्तन निदेशक, जे. कमलनाथन, निदेशक, आकाशवाणी, श्री जी. भास्कर, निदेशक, भारतीय मानक ब्यूरो, श्री जी. मुरलीधरन, महाप्रबंधक, भारत संचार निगम लिमिटेड, डॉ. ना. गोपालकृष्णन, परियोजना समन्वयन (कपास) एवं अध्यक्ष, केंद्रीय कपास अनुसंधान संस्थान, श्री डी. कन्नन, कमांडेंट, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल, रा. गोपाल कृष्णन, वेयर हाऊस प्रबंधक, श्री वी.के. सिन्हा, शाखा प्रबंधक, भारतीय कपास निगम लिमिटेड, श्री सी.एन. रवींद्रनाथ, संयुक्त निदेशक, श्री क्यू. मोहियुद्दीन, प्रबंधक, भारत सरकार मुद्रणालय, श्री जी.के.के.वी. उमाशंकर, वरिष्ठ क्षेत्रीय प्रबंधक, हिंदुस्तान पेट्रोलियम कार्पोरेशन लिमिटेड, श्री पी.एस. चंदन, शाखा प्रबधक, हडको, श्री एम. सेल्वराज, स्टेशन प्रबंधक, एयर इंडिया, श्री के. नल्लप्पन, प्राचार्य, केंद्रीय विद्यालय, डॉ. एम. राजेश्वरी, प्रधानाचार्या, केंद्रीय विद्यालय, सूलूर, श्री सुदर्शन मलिक, मुख्य प्रबंधक, राष्ट्रीय हथकरघा विकास निगम लिमिटेड, श्री एम.एम. चोक्कलिंगम, मुख्य महाप्रबंधक (तकनीकी), नेशनल टेक्सटाइल कार्पोरेशन लिमिटेड, श्री पी. दुरैसामी, अधीक्षक, डाक भंडार डिपो, श्री पी. राजगोपालन, कंपनी पंजीयक, श्री जी. गुरुनाथन, वरिष्ठ डाकघर अधीक्षक, श्री एम.एम. रामलिंगम, वरिष्ठ क्षेत्र अधिकारी, श्री एम.के. गोगोई, शाखा प्रबंधक, स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड, श्रीमती के. उषा, वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी, गन्ना प्रजनन संस्थान आदि शामिल हैं ।
सरकारी कार्यालय वर्ग में कर्मचारी भविष्य निधि संगठन एवं कर्मचारी राज्य बीमा निगम को विशिष्ट पुरस्कार, केंद्रीय विद्यालय, सूलूर को प्रथम पुरस्कार, एस एंड टी कर्मशाला को द्वितीय पुरस्कार तथा केंद्रीय कपास अनुसंधान संस्थान को तृतीय पुरस्कार प्रदान किए गए ।
इनके अलावा केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल, केंद्रीय विद्यालय, कंपनी पंजीयक का कार्यालय, आयकर कार्यालय, गन्ना प्रजनन संस्थान, केंद्रीय श्रमिक शिक्षा बोर्ड और संयुक्त महानिदेशक विदेश व्यापार कार्यालय को शंसा पत्र प्रदान किए गए ।
सरकारी उपक्रम वर्ग के अंतर्गत नेशनल टेक्सटाईल कार्पोरेशन लिमिटेड एवं भारतीय कपास निगम लिमिटेड को विशिष्ट पुरस्कार, भारत संचार निगम लिमिटेड को प्रथम पुरस्कार, भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण को द्वितीय पुरस्कार तथा भारतीय खाद्य निगम को तृतीय पुरस्कार प्रदान किए गए ।
इनके अलावा राष्ट्रीय हथकरघा विकास निगम लिमिटेड, हिंदुस्तान पेट्रोलियम कार्पोरेशन लिमिटेड, क्षेत्रीय कार्यालय, युनाइटेड इंडिया एश्योरेंस कं.लि., स्पैसेस बोर्ड और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कार्पोरेशन लिमिटेड के इरुगूर इंस्टलेशन को शंसा पत्र प्रदान किए गए ।
श्रेष्ठ राजभाषा पत्रिकाओं के लिए दिए जाने वाले वार्षिक पुरस्कारों के अंतर्गत सरकारी कार्यालय वर्ग में कर्मचारी भविष्य निधि संगठन द्वारा प्रकाशित कोंगु निधि को प्रथम पुरस्कार, आयकर कार्यालय द्वारा प्रकाशित आयकर प्रसून को द्वितीय पुरस्कार, केंद्रीय विद्यालय, सूलूर द्वारा प्रकाशित विद्यालय पत्रिका के लिए तृतीय पुरस्कार तथा सरकारी उपक्रम वर्ग में भारत संचार निगम लिमिटेड द्वारा प्रकाशित अमृतवाणी को प्रथम पुरस्कार एवं युनाइटेड इंडिया इंश्यूरेंस कंपनी लिमिटेड द्वारा प्रकाशित सिरुवाणी को द्वितीय पुरस्कार प्रदान किए गए ।
बैठक में विमानपत्तन निदेशक श्री वासुदेव, राष्ट्रीय हथकरघा निगम के वरिष्ठ प्रबंधक श्री मलिक, स्पैसेस बोर्ड के प्रधान श्री रामलिंगम, नेशनल टेक्सटाइल कार्पोरेशन लिमिटेड को मुख्य महाप्रबंधक श्री एम. चोक्कलिंगम, सहायक प्रबंधक (राजभाषा) श्री यू,एन. त्रिपाठी, हिंदुस्तान पेट्रोलियम कार्पोरेशन के मुख्य क्षेत्रीय प्रबंधक श्री उमाशंकर, गन्ना प्रजनन संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. चंद्रगुप्ता आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए ।
समिति के द्वारा आयोजित हिंदी सप्ताह के दौरान आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेताओं को भी पुरस्कारों का वितरण किया गया । अंत में सदस्य-सचिव डॉ. सी. जय शंकर बाबु द्वारा धन्यवाद ज्ञापन एवं राष्ट्रगान के साथ ही बैठक सुसंपन्न हुई।