रचनाकारों को सृजनगाथा अलंकरण
रायपुर । छत्तीसगढ़ की पहली और साहित्य, संस्कृति एवं भाषा की अंतरराष्ट्रीय मासिक वेब पत्रिका सृजनगाथा डॉट कॉम द्वारा दिये जाने वाला प्रतिष्ठित और तृतीय सृजनगाथा सम्मान की घोषणा कर दी गई है । मीडिया की विभिन्न विधाओं में प्रतिवर्ष दिये जाने वाला यह सम्मान इस वर्ष सर्व श्री रवि भोई, रायपुर (पत्रकारिता), श्री महावीर अग्रवील, दुर्ग (लघुपत्रिका), श्री शिवशरण पांडेय, रायगढ़ (फ़ोटोग्राफ़ी), रणवीर सिंह चौहान, दंतेवाड़ा (वेब-पत्रकारिता), मिर्जा मसूद, रायपुर (रेडियो), राजेश मिश्रा, रायपुर (इलेक्ट्रानिक पत्रकारिता), अशोक सिंघई, कमलेश्वर साहू भिलाई, एवं बी. एल. पॉल, कोरिया (साहित्य) को दिया जा रहा है । सृजनगाथा के संपादक जयप्रकाश मानस ने बताया है कि यह सम्मान सृजनगाथा डॉट कॉम के तीन वर्ष पूर्ण होने पर 7 जून, 2009 को एक समारोह में प्रदान किया जायेगा । उक्त अवसर पर संस्था द्वारा ‘नयी प्रौद्योगिकी और साहित्य की चुनौतियाँ’ विषय पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में देश के नामचीन आलोचक, कवि, संपादक सर्वश्री केदार नाथ सिंह (दिल्ली), नंदकिशोर आचार्य (जयपुर), विश्वनाथ प्रसाद तिवारी (गोरखपुर), विजय बहादुर सिंह (कोलकाता), मैनेजर पांडेय (दिल्ली), प्रो. धनंजय वर्मा (भोपाल), नंदकिशोर आचार्य (जयपुर), अरुण कमल (पटना), कर्मेन्दु शिशिर (पटना), राजेश जोशी (भोपाल), लीलाधर मंडलोई (दिल्ली), विश्वजीत सेन (पटना), प्रभात त्रिपाठी (रायगढ़), डॉ. बलदेव (रायगढ़), हेमंत शेष (जयपुर), विश्वरंजन, व अनिल विभाकर (रायपुर) आदि शिरकत करेंगे ।
लघु पत्रिका ‘नई दिशाएँ’ के प्रधान संपादक एस. अहमद ने बताया कि पत्रिका के दो वर्ष पूर्ण होने पर इसी तारतम्य में समकालीन कविता के वरिष्ठ हस्ताक्षर विश्वरंजन की कविताओं पर केंद्रित संगोष्ठी 6 जून को होगी जिसमें ये सभी वरिष्ठ रचनाकार भाग लेंगे । संगोष्ठी का विषय ‘विश्वरंजन की कविता में राजनीतिक परिप्रेक्ष्य’ रखा गया है । इसके अलावा देश के ये वरिष्ठ कवि अपनी कविताओं का भी पाठ करेंगे । उक्त अवसर पर श्री विश्वरंजन की कृति के तीसरे संस्करण का विमोचन भी किया जायेगा ।
दो आलोचकों को प्रतिवर्ष प्रमोद वर्मा सम्मान
प्रमोद वर्मा की स्मृति में संस्थान का गठन
मुक्तिबोध, परसाई और श्रीकांत वर्मा के समकालीन तथा हिन्दी के वरिष्ठ आलोचक प्रमोद वर्मा की स्मृति को अक्षुण्ण बनाये रखने के लिए प्रमोद वर्मा स्मृति संस्थान का विधिवत पंजीयन किया गया है, जिसका विस्तार किया जायेगा । संस्थान द्वारा प्रत्येक वर्ष राष्ट्रीय आलोचना, साहित्य एवं शिक्षा पर केंद्रित संगोष्ठियों का आयोजन विभिन्न शहरों में किया जायेगा । हर साल किसी युवा और प्रतिभावान आलोचक को शोधवृत्ति भी प्रदान की जायेगी । इस अनुक्रम में इस वर्ष 10-11 जुलाई को रायपुर में आलोचना और प्रमोद वर्मा पर राष्ट्रीय विमर्श का आयोजन किया जा रहा है । संस्थान द्वारा प्रमोद वर्मा के लिखित साहित्य का समग्र पाँच खंडों में प्रकाशन भी किया जा रहा है, जिसका संपादन श्री वर्मा के आत्मीय मित्र और कवि विश्वरंजन कर रहे हैं । यह कृति राजकमल प्रकाशन द्वारा छापी जा रही है । इसके अलावा श्री वर्मा की स्मृति में दो राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कार प्रारंभ किये जा रहे हैं । इसका उद्देश्य हिंदी में उस स्वस्थ आलोचना कर्म का सम्मान है जिनसे अपने समय के साहित्य, साहित्यकार और पाठक यानी मनीषा को नयी संचेतना और नयी दिशा से जुड़ने का द्वार खुलता हो । इस पुरस्कार के अंतर्गत दो आलोचकों को उनकी आलोचनात्क कृति या कर्म के लिए सम्मानित किया जायेगा। पुरस्कार के अंतर्गत दो चयनित आलोचकों को 10-11 जुलाई, 2009 को रायपुर में आयोजित दो दिवसीय साहित्य समारोह में 11,000 एवं 7,000 हज़ार नगद सहित प्रशस्ति पत्र, प्रतीक चिन्ह एवं प्रमोद वर्मा समग्र की एक-एक प्रति प्रदान किया जायेगा । पुरस्कारों का चयन निर्णायक मंडल द्वारा किया जायेगा जिसमें श्री केदार नाथ सिंह, दिल्ली, डॉ. विजय बहादुर सिंह, कोलकाता, डॉ. विश्वनाथ प्रसाद तिवारी, गोरखपुर, प्रो. धनंजय वर्मा, भोपाल एवं श्री विश्वरंजन तथा संयोजक जयप्रकाश मानस, रायपुर हैं । संस्थान के संयोजक ने बताया है कि इसके लिए प्रविष्टि बुलायी गई है । प्रथम वर्ग के अंतर्गत आलोचक को अपनी प्रकाशित कृति (साहित्य-आलोचना) की दो प्रतियाँ भेजना होगा जो किसी भी अवधि में प्रकाशित हों । द्वितीय वर्ग के अंतर्गत युवा आलोचक को अपनी प्रकाशित कृति (साहित्य-आलोचना) की दो प्रतियाँ भेजना होगा जो 2000 से 2009 की अवधि में प्रकाशित हों । ऐसी कृतियों के प्रकाशक, पाठक, संस्थायें भी उक्तानुसार प्रविष्टि भेज सकते हैं । प्रविष्टि के साथ आलोचक का बायोडेटा एवं छायाचित्र आवश्यक होगा । प्रविष्टि प्राप्ति की अंतिम तिथि – 30 मई, 2009 रखी गयी है । प्रविष्टि प्रमोद वर्मा स्मृति संस्थान, सी-2/15, न्यू शांति नगर, रायपुर, छत्तीसगढ़ के पते पर भिजवायी जा सकती है ।
जयप्रकाश मानस/एस. अहमद
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