Wednesday, October 15, 2008

साक्षात्कार


गृह राज्य मंत्री डॉ. शकील अहमद से श्री प्रकाश जैन का साक्षात्कार



भारत सरकार के गृह मंत्रालय द्वारा दी गई जिम्मेदारियों को बकूबी निभाते हुए तेज तर्रार व युवा गृह राज्य मंत्री डॉ. शकील अहमद ने आज ऊटी में हो रही तेज बारिश में भी उनके अधीन राजभाषा विभाग द्वारा आयोजित संयुक्त क्षेत्रीय राजभाषा सम्मेलन में बकौल मुख्य अतिथि अपनी उपस्थिति दर्ज कराई । अपने ओजस्वी भाषाण से सभागार में उपस्थित सभी प्रतिभागियों का राजभाषा कार्यान्वयन के प्रति मनोबल बढ़ाते हुए सबका दिल जीत लिया । कार्याक्रम के पश्चात मिलाप संवाददाता प्रकाश जैन के साथ हुई एक विशेष भेंट वार्ता के प्रमुख अंश –


देश में राजभाषा कार्यान्वयन की वर्तमान स्थिति से क्या आप संतुष्ट हैं ?


हम जिस दिन संतुष्ट हो जाएंगे उस दिन हमारा विकास कार्य रुक जाएगा । हमें अभी बहुत काम करना है । यह बात सच है कि राजभाषा हिंदी देश को जोड़ने वाली भाषा है । हम सबमें अपनी मातृभाषा के प्रति स्वाभाविक प्रेम है । उसी प्रकार देश की भाषा के प्रति भी हमारी जिम्मेदारी होती है । अच्छी बात तो यह है कि अहिंदी भाषी राज्यों में भी हिंदी कार्य के प्रति लोगों की रूचि बढ़ी है ।


राजभाषा के प्रगामी प्रयोग को प्रोत्साहित करने के लिए जो व्यवस्था चल रही है, वह वर्तमान परिदृश्य में कितनी प्रभावशाली है ?


समय के साथ-साथ परिवर्वतन आवश्यक है । राजभाषा कार्यान्वयन के प्रति निष्ठा से जुड़े लोगों को और ज्यादा प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है । इस पर राजभाषा विभाग बड़ी ही गंभीरता से विचार कर रहा है । साथ ही हिंदी को बढ़ावा देने के लिए सूचना प्रोद्योगिकी के व्यापक एवं सुचारू इस्तेमाल को भी बढ़ावा दिया जा रहा है ।


राजभाषा कार्यान्वयन के प्रति कई उच्च अधिकारियों की उदासीनता को दूर करने के लिए विभाग क्या करता है ?


ऊपर से दबाव डालकर मानसिकता में परिवर्तन नहीं किया जा सकता । प्रेम, प्रोत्साहन व सद्भावना से ही मानसिकता बदली जा सकती है । अगर कोई जिम्मेदार व्यक्ति अपना कार्य ठीक ढंग से नहीं करता है और समीक्षा रिपोर्ट के माध्यम से यह पता लगता है कि जानबूझकर कार्य में उदासीनता बरती गई है तो सरकार अपनी जिम्मेदारियों का निर्वाह करेगी ।


राजभाषा विभाग प्रसार-प्रचार के क्षेत्र में पिछड़ा क्यों हैं ? क्यों केवल प्रचार सामग्री के रूप में पोस्टर, बैनर इत्यादि बनाकर आंतरिक वितरण किया जाता है और क्यों उपलब्ध मीडिया संसाधनों का खुलकर इस्तेमाल नहीं किया जाता?


इस वर्ष पहली बार हिंदी दिवस के अवसर पर देश के प्रमुख समाचारपत्रों में विज्ञापन प्रकाशित किए गए हैं । आपका कहना सही है हमें और प्रचार-प्रसार की आवश्यकता है । आपकी बात पर ध्यान देते हुए मीडिया के माध्यम से राजभाषा कार्यान्वयन के प्रति चेतना जागृत करने का प्रयास अवश्य करेंगे ।


छठे वेतन आयोग की सिफारिशों को राजभाषा कर्मियों उचित तरीके से लागू न किए जाने पर वेतनामान की विसंगतियों को लेकर देश भर में राजभाषा अधिकारियों में गहरा असंतोष दिखाई दे रहा है, क्या आपने इसके लिए कोई कार्रवाई की?


मुझे इस बात की कोई जानकारी नहीं है । और न ही मुझे इस संबंध में कोई शिकायत या प्रतिवेदन प्राप्त नहीं हुआ । यदि ऐसी कोई बात हमारी जानकारी में आएगी तो उचित कार्रवाई अवश्य की जाएगी ।

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