Wednesday, October 29, 2008

कविता

दीवाली का शुभ संदेश





- सुश्री अर्चना, चेन्नई ।



मेरी प्यारी बहना, न्यारी बहना
तेरी सूरत व सीरत का क्या कहना
तू है हमारे लिए अनमोल गहना
किन अल्फ़ाज– ज़बान से तेरी तारीफ़ करना
किस तूलिका से, तेरी तस्वीर सज़ाना


रे बिना घर आँगन सूना
तू ही थी हमारे मन मंदिर का सपना
तेरी बातों में प्यार ममता का झरना
तेरी सूरत में देवताओं का बसना
दिव्यालोक का प्रतिदिन दर्शन करना

विवाह रचके तू हम से जुदा हुई
दिल से हमेशा याद आती रहीं
तेरे बिना, इस दीवाली की शुभवेला में
दीपों के जलने में
फूलों के खिलने में कोकिल के गानों में
फटाकों के जलाने में

ओ..........आवाज़ नहीं
ओ..........साज़ नहीं
उस राग में, अनुराग नहीं
इस बार दीवाली मनाने में
उतना मज़ा भी नहीं
अब हम बेशुमार प्यार को
गुलदस्तों में सज़ाकर
दिल से..........दीवाली के
शुभ संदेश देते हैं
सौभाग्य की कामना करते हैं।

1 comment:

  1. Expression on sepration of affectionate sister discribed very hearttouching. Your art of pen-womenship is superb. We expect more penning of glitters in future endower. My best wishes for both.

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