Monday, August 11, 2008

ग़ज़ल



कमलप्रीत सिंह जी को जन्म दिन की शुभकामनाओं सहित...


ग़ज़ल


कमलप्रीत सिंह


अपने आप से दूर जाने वालो ।
अपने अख़लाक़ से भागोगे कहाँ तक
ख़ुद अपनी ही किस्म को बताने वालो ,
खुदी की नींद से जागोगे कहाँ तक
प्यार हर कोई करता है अपने आप से ,
दूजे की आवाज़ मिला लोगे कहाँ तक
रौशनी जहाँ चरागों की टिमटिमाती है ,
ऐसे में हर राह सुझा लोगे कहाँ तक
तिलिस्म तीरगी पे तंज़ करता है ,
अन्दर के उजाले को दगा दोगे कहाँ ताक
अपने आप से दूर जाने वालो ।
अपने अख़लाक़ से भागोगे कहाँ तक ।

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