हिंदी का हितचिंतन
हिंदी के विकास के लिए कई आयामों पर चिंतन के साथ-साथ पूरी निष्ठा के साथ हमें प्रयास करने की आवश्यकता है । देश में आज हिंदी की दुस्थिति को लेकर व्यथित एवं व्यग्र होकर संघर्षपूर्ण स्वर में कोसनेवालों की श्रेणी एक ओर, हिंदी को विश्वभाषा साबित करने की, संयुक्त राष्ट्र संघ से मान्यता दिलाने की मांग करनेवालों की श्रेणी दूसरी ओर है । बीच का रास्ता अपनाकर हिंदी के हितवर्धन हेतु अपने स्तर पर योग्य कार्य करनेवाले चंद हितैषी भी हैं । इन सबकी गति से सौ गुना अधिक तेजी से भारत में अंग्रेज़ी के दायरों का विस्तार होता जा रहा है । हिंदी की गति तभी बढ़ेगी जब हम जिम्मेदार एवं प्रभावशाली व्यक्तियों का ध्यान आकर्षित करने में सक्रिय रहेंगे तथा कर्तव्य निभाने के लिए उन्हें बाध्य करेंगे । भारतीय संविधान की मूल संकल्पना के अनुसार हिंदी को उचित दर्जा दिलाने हेतु उचित दिशा में संघर्ष करना आज हमारा कर्तव्य है ।
सूचना प्रौद्योगिकी के विकास के परिप्रेक्ष्य में हिंदी की स्थिति के संदर्भ में भी हमें तुरंत सचेत होने की बड़ी आवश्यकता है । एक विडंबना है कि हम जानबूझकर कंप्यूटर में जिन चालन प्रणालियों (आपरेटिंग सिस्टम) को अपना चुके हैं उनका आधार अंग्रेज़ी भाषा है । हिंदी भाषा आधारित चालन प्रणालियों से युक्त कंप्यूटर उपलब्ध कराने के लिए हमने उत्पादकों को बाध्य नहीं किया है । सूचना प्रौद्योगिकी के विकास के परिप्रेक्ष्य में राजभाषा नीति के उल्लंघन का यह मूलबिंदु है ।
यहाँ एक और तथ्य पर हमें गौर करने की आवश्यकता है कि कंप्यूटर चालन प्रणालियों में आज सहजतः विश्वभर में मानक अंग्रेज़ी का एक फांट (अक्षर रूप) मिल जाता है । अंग्रेज़ी के अन्य फांट साफ्टवेयर के साथ इसका आदान-प्रदान (परिवर्तनीयता एवं पठनीयता) भी संभव है । हिंदी भाषा आधारित चालन प्रणाली का अभाव तो है ही, मानक हिंदी फांट भी आज कहीं उपलब्ध नहीं हैं जैसे कि अंग्रेज़ी में उबलब्ध हैं । आज भारतीय बाज़ार में हिंदी के कई साफ्टवेयर उपलब्ध हैं, जिनका प्रचार राजभाषा विभाग के तकनीकी कक्ष की ओर से भी किया जा रहा है । किंतु मानक फांट साफ्टवेयर के अभाव में हिंदी के हित से बढ़कर अहित ही अधिक हो रहा है । हिंदी जिस देश की राजभाषा है वहाँ हिंदी साफ्टवेयर खरीदना पड़ रहा है जब कि अंग्रेज़ी जहाँ की राजभाषा भी नहीं, वहाँ भी मानक अंग्रेज़ी फांट निःशुल्क उपलब्ध हो रहा है । सरकार को चाहिए कि वह एक मानक हिंदी साफ्टवेयर को विकसित कराएँ जिससे कहीं परिवर्तनीयता अथवा पठनीयता की समस्या उत्पन्न न हो । हिंदी के हित में यह आवश्यक है कि विश्वभर में एक मानक फांट साफ्टवेयर निःशुल्क उपलब्ध कराने के लिए प्रावधान रखें । हिंदी के विकास के मार्ग अपने आप खुलने की दिशा में यह भी एक अपेक्षित कदम है । समस्त हिंदी प्रेमी इक दिशा में सरकार को बाध्य करने के लिए आज ही सक्रिय हो जावें, अपने सक्रिय प्रयासों की जानकारी युग मानस को भी अवश्य देते रहें ।
यह युग साहित्य मानस के जुलाई-सितंबर, 2002 लिखा अपना संपादकीय है । इसके लिखे पाँच साल बीत चुका है, मगर मेरे ख्याल में यह आज भी प्रासंगिक है । हाँ, संपादकीय में मेरे द्वारा अपेक्षित दिशा में कुछ कदम सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा उठाए गए हैं...यथा निःशुल्क फांट साफ्टवेयर सी.डी. आदि उपलब्ध कराना आदि । किंतु इससे मेरे द्वारा संकेतित मूल समस्य कहीं सूलझना का आसार नहीं नज़र नहीं आ रहे हैं । सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र के ज्ञाताओं से मेरी विनती है कि वे इस दिशा में कमर कसें कि कोई भी भाषा या क्षेत्र इस ज्ञान भंडार एवं सूचना तकनीकों से वंचित न रह जाए । युग मानस डाट वर्डप्रेस के लिए डा. सी. जय शंकर बाबु द्वारा प्रसारित by Dr. C. JAYA SANKA BABU for yugmanas.wordpress.com on occassion of proposed 8th World Hindi Conference at
जया शंकर बाबू ,
ReplyDeleteआपका ईमेल मिला , क्या लिखा था ये तो समझ में नहीं आया क्यूंकि वो जंक हो गया था,परन्तु वहाँ से मैं आपके ब्लॉग पर गया . सच मानिए बहुत अच्छा लगा. हिन्दी की लोकप्रियता के लिए जो आप कर रहे हैं वह काबिले-तारीफ है. बहुत सी नयी जानकारियां मिलीं. मेरी एक बिन मांगी सलाह है कि आप अपनी कृतियों को भड़ास नामक ब्लॉग पर डालें. इससे बहुत सारे लोगों को फायदा होगा. भड़ास की सदस्यता के लिए आप इसके मोडरेटर यशवंत जी से yashvantdelhi@gmail.com पर सम्पर्क कर सकते हैं. आगे से अगर आप मुझसे aurobliss@gmail.com पर सम्पर्क करें तो अच्छा हो .
वरुण राय